एस. जयशंकर का करारा जवाब: ट्रंप के 3 बड़े दावों की सच्चाई, पाकिस्तान और ओसामा का खुलासा


परिचय

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में अमेरिका और पाकिस्तान के बढ़ते रिश्तों तथा डोनाल्ड ट्रंप के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा – “जो सर्टिफिकेट दे रहे, वही पाकिस्तान में घुसे थे”। यह बयान उन्होंने इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025 में दिया, जहां अमेरिका और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियों पर सवाल पूछा गया था। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के एबटाबाद में मिला था, और वही देश अब सर्टिफिकेट बांट रहा है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे:

  • जयशंकर के बयान का राजनीतिक और कूटनीतिक महत्व
  • पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों का इतिहास
  • ऑपरेशन सिंदूर और ट्रंप के दावे
  • भारत की स्थिति और भविष्य की चुनौतियां

एस. जयशंकर ने अमेरिका को दिखाया आईना

एस. जयशंकर का करारा जवाब: ट्रंप के 3 बड़े दावों की सच्चाई, पाकिस्तान और ओसामा का खुलासा
एस. जयशंकर का करारा जवाब: ट्रंप के 3 बड़े दावों की सच्चाई, पाकिस्तान और ओसामा का खुलासा

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर का यह बयान केवल ट्रंप पर तंज नहीं था, बल्कि अमेरिका की नीति पर गंभीर सवाल भी उठाता है। उन्होंने याद दिलाया कि जिस देश के साथ अमेरिका आज दोस्ती दिखा रहा है, उसी ने दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को अपने यहां पनाह दी थी।

  • जयशंकर ने कहा कि “आज वही सेना सर्टिफिकेट दे रही है, जिसने एबटाबाद में घुसकर ओसामा को मारा था।”
  • यह बयान सीधे-सीधे अमेरिका के दोहरे रवैये की तरफ इशारा करता है।
  • पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद की पनाहगाह माना जाता रहा है, और जयशंकर ने इस कड़वे सच को सामने रखा।

पाकिस्तान और अमेरिका – रिश्ता और विरोधाभास

एस. जयशंकर के बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत पाकिस्तान-अमेरिका रिश्तों को लेकर सजग है।

  1. शीत युद्ध के दौरान पाकिस्तान को अमेरिका का करीबी सहयोगी माना जाता था।
  2. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भी पाकिस्तान अमेरिका से अरबों डॉलर की मदद लेता रहा।
  3. 2011 में ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के एबटाबाद में मिला, जिसके बाद अमेरिका ने बिना पाकिस्तान को बताए ऑपरेशन चलाया।
  4. इसके बावजूद अमेरिका समय-समय पर पाकिस्तान को “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोगी” कहता रहा।

यही कारण है कि आज एस. जयशंकर का बयान और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।


ऑपरेशन सिंदूर और ट्रंप के दावे

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर में अमेरिका की भूमिका रही।

लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस दावे को पूरी तरह खारिज किया।

  • उन्होंने कहा कि सीजफायर का निर्णय भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था।
  • अमेरिका और अन्य देशों से फोन कॉल्स जरूर आए थे, लेकिन फैसले में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।
  • जयशंकर ने उदाहरण दिया कि जब रूस-यूक्रेन या इजरायल-ईरान युद्ध शुरू हुआ तो उन्होंने खुद फोन किए थे। यह कूटनीति का सामान्य हिस्सा है।

ओसामा बिन लादेन और पाकिस्तान की सच्चाई

विदेश मंत्री एस. जयशंकर का सीधा इशारा पाकिस्तान की भूमिका पर था।

  • 2 मई 2011 को अमेरिकी नेवी सील्स ने एबटाबाद (पाकिस्तान) में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मार गिराया।
  • पाकिस्तान लगातार दावा करता रहा कि उसे इसकी जानकारी नहीं थी।
  • यह घटना दुनिया के सामने पाकिस्तान की असलियत दिखा गई।

आज जब वही पाकिस्तान आतंकवाद पर “सर्टिफिकेट” देता है, तो एस. जयशंकर ने अमेरिका को उसका अतीत याद दिला दिया।


जयशंकर की कूटनीति और भारतीय दृष्टिकोण

विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपनी स्पष्टवादिता और कूटनीतिक रणनीति के लिए जाने जाते हैं।

  • उनका मानना है कि भारत को अपनी विदेश नीति में “स्पष्ट और संतुलित” रहना चाहिए।
  • पाकिस्तान के साथ रिश्तों में भारत हमेशा “आतंकवाद” का मुद्दा उठाता रहा है।
  • अमेरिका जैसे देशों को यह समझाना जरूरी है कि पाकिस्तान पर आंख मूंदकर भरोसा करना खतरनाक है।

ट्रंप और अमेरिकी राजनीति का प्रभाव

डोनाल्ड ट्रंप का बयान केवल भारत पर ही नहीं, बल्कि अमेरिका की आंतरिक राजनीति से भी जुड़ा है।

  • ट्रंप हमेशा से पाकिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर अलग राय रखते रहे हैं।
  • उनका बयान चुनावी राजनीति और घरेलू समर्थन हासिल करने की कोशिश भी हो सकती है।
  • लेकिन एस. जयशंकर ने बिना लाग-लपेट सीधे ट्रंप को आईना दिखा दिया।

भविष्य के लिए संदेश

विदेश मंत्री एस. जयशंकर का यह बयान कई मायनों में अहम है:

  1. भारत यह साफ कर रहा है कि आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं होगा।
  2. पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बढ़ते रिश्तों पर भारत नजर रखेगा।
  3. ओसामा बिन लादेन का उदाहरण देकर जयशंकर ने दुनिया को याद दिलाया कि पाकिस्तान पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता।
  4. भारत की विदेश नीति स्वतंत्र और सशक्त है, और यह संदेश अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिया गया।

निष्कर्ष

एस. जयशंकर का बयान केवल एक पलटवार नहीं, बल्कि भारत की सशक्त विदेश नीति का उदाहरण है। उन्होंने साफ किया कि ऑपरेशन सिंदूर का सीजफायर भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ, न कि अमेरिकी दबाव में। साथ ही, पाकिस्तान की असलियत बताकर उन्होंने अमेरिका को याद दिलाया कि वही देश ओसामा बिन लादेन की पनाहगाह था।

यह बयान न सिर्फ ट्रंप के दावों को खारिज करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की कूटनीतिक ताकत को भी दिखाता है।

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