कैंसर का इंतज़ार मत कीजिए – समय पर जांच से जान भी बचेगी और खर्च भी


परिचय: डर नहीं, जागरूकता है ज़रूरी!

कैंसर – एक ऐसा शब्द जिसे सुनते ही डर सताने लगता है। लेकिन अगर समय रहते इसका पता लग जाए, तो यह डर कम किया जा सकता है।
डॉ. जीवन राम विश्नोई (सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग, एम्स जोधपुर) का मानना है कि समय पर कैंसर स्क्रीनिंग न केवल जान बचाती है, बल्कि इलाज का खर्च भी घटा देती है।


क्या है कैंसर स्क्रीनिंग?

कैंसर स्क्रीनिंग का अर्थ है – बिना किसी लक्षण के स्वस्थ व्यक्ति की जांच, जिससे किसी भी संभावित कैंसर को उसकी शुरुआती अवस्था में ही पहचाना जा सके।

👉 WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार:
समय पर की गई स्क्रीनिंग से मृत्यु दर घटाई जा सकती है और इलाज भी अधिक प्रभावी व किफायती हो जाता है।


इन 5 तरह की स्क्रीनिंग है सबसे ज़रूरी:

1. ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर):

🔹 उम्र: 25–40 वर्ष की महिलाएं
🔹 उपाय:

  • हर महीने स्वयं स्तन जांच करें।
  • 1–3 साल में एक बार डॉक्टर से जांच कराएं।
  • 40–74 वर्ष की महिलाएं हर 1–2 साल में मेमोग्राफी करवाएं।

🔸 खास सलाह:
अगर परिवार में कैंसर का इतिहास है या BRCA जीन म्यूटेशन है, तो यह स्क्रीनिंग और भी जरूरी है।


2. सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर):

🔹 उम्र: 21–29 वर्ष की महिलाएं
🔹 उपाय:

  • हर 3 साल में पैप स्मियर टेस्ट
  • 30–65 वर्ष की महिलाएं हर 5 साल में HPV टेस्ट करवाएं

🔸 नोट:
कमजोर इम्युनिटी वाली महिलाओं में यह ज्यादा देखने को मिलता है।


3. कोलन कैंसर (आंतों का कैंसर):

🔹 उम्र: 45–75 वर्ष (महिला और पुरुष दोनों)
🔹 उपाय:

  • हर 10 साल में कोलोनोस्कोपी
  • हर साल स्टूल टेस्ट
  • हर 5 साल में सिग्मायडोस्कोपी या CT कोलोनोग्राफी

🔸 खास सलाह:
यदि परिवार में किसी को आंत का कैंसर रहा है, तो जांच जल्दी और नियमित रूप से करवाना चाहिए।


4. फेफड़ों का कैंसर:

🔹 उम्र: 50–80 वर्ष
🔹 कौन करवाएं?

  • जो लोग 20 साल या उससे ज्यादा समय से रोज 1 पैकेट सिगरेट पीते हैं
  • या जिन्होंने पिछले 15 सालों में धूम्रपान छोड़ा है

🔹 उपाय:

  • हर साल लो-डोज सीटी स्कैन (LDCT) करवाएं

5. मुंह का कैंसर:

🔹 उम्र: 30 वर्ष से अधिक
🔹 किसे खतरा ज्यादा:

  • तंबाकू, बीड़ी-सिगरेट या शराब पीने वाले

🔹 उपाय:

  • हर साल डेंटिस्ट या डॉक्टर से मुंह की जांच करवाएं
  • बार-बार छाले या घाव – यह कैंसर के संकेत हो सकते हैं

समय पर स्क्रीनिंग क्यों जरूरी है?

✅ बीमारी की पहचान जल्दी होती है
इलाज आसान और सस्ता हो जाता है
जीवन की गुणवत्ता बनी रहती है
मानसिक तनाव और डर में कमी आती है
✅ परिवार की आर्थिक स्थिति सुरक्षित रहती है


निष्कर्ष: कैंसर से पहले कदम उठाइए, पछतावे से नहीं!

कैंसर का इलाज कठिन हो सकता है, लेकिन समय पर की गई जांच आपको उस कठिनाई से बचा सकती है।
👉 याद रखिए –
“कैंसर का इंतज़ार मत कीजिए, सजग रहिए और समय रहते जांच कराइए।”

अपने और अपने परिवार के लिए समय निकालिए, रेगुलर स्क्रीनिंग कराइए, और एक स्वस्थ, सुरक्षित जीवन अपनाइए।


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