जालौर जिले में जवाई बांध (Jawai Dam) इस समय चर्चा का मुख्य विषय बना हुआ है। बांध में लगातार पानी की आवक और गेट खोले जाने की संभावनाओं ने प्रशासन, किसानों और सामाजिक संगठनों को चिंतित कर दिया है। इतिहास गवाह है कि कई बार गेट खोलने से जालौर में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। इस बार भी मौसम विभाग ने भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिससे हालात और गंभीर हो सकते हैं।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे:
- जवाई बांध की वर्तमान स्थिति
- किसानों और संगठनों का विरोध
- प्रशासनिक बैठक और जनप्रतिनिधियों की नाराजगी
- बाढ़ का खतरा और इतिहास
- सरकार और विधायकों की प्रतिक्रिया
जवाई बांध की मौजूदा स्थिति (Current Situation of Jawai Dam)

- रोजाना औसतन 200 एमसीएफटी पानी की आवक हो रही है।
- मंगलवार शाम तक बांध का गेज 57.20 फीट तक पहुँच गया है, जबकि इसकी पूर्ण क्षमता 61.25 फीट है।
- अब भी लगभग 1100 एमसीएफटी पानी खाली है।
- मौसम विभाग ने 5 और 6 सितंबर को पाली, जालौर और सिरोही जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।
- बांध लबालब होने के कारण प्रशासन ने कुल 13 में से 8 गेट (5-5 फीट) खोल दिए हैं।
- बेड़ा नदी 10 फीट से ऊपर बह रही है।
👉 प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि नदी के किनारे बसे लोग सतर्क रहें।
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किसानों और संगठनों का विरोध (Protest by Farmers and Organizations)

- भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष रतनसिंह ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
- मांग: 55 फीट से ऊपर आने वाले पानी का 50% नदी में छोड़ा जाए, ताकि बांध सुरक्षित रहे और जालौर में बाढ़ का खतरा कम हो।
- किसानों का आरोप है कि पाली जिले में पहले से ही 27 छोटे-बड़े बांध हैं, फिर भी जवाई का पानी रोका जा रहा है।
- इसे जालौर जिले के साथ अन्याय बताया गया।
संगठनों का रुख:
- शिवसेना (यूबीटी) ने अनोखा प्रदर्शन किया।
- जिला प्रमुख रूपराज पुरोहित के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने जवाई नदी में उतरकर प्रदर्शन किया।
- संगठन ने ‘जवाई रथ यात्रा’ निकालने और जवाई पर जालौर का हक तय करने के लिए आंदोलन की घोषणा की।
प्रशासनिक बैठक और जनप्रतिनिधियों की नाराजगी (Political Controversy)
- सुमेरपुर में जवाई बांध की स्थिति पर बैठक हुई।
- निर्णय: बांध को पूर्ण क्षमता तक भरना और सेई टनल बंद कर पानी रिजर्व रखना।
- लेकिन जालौर के जनप्रतिनिधियों को शामिल नहीं किया गया।
- ग्रामीणों और संगठनों ने नाराजगी जताई।
- पिछले वर्ष आंदोलन के बाद आश्वासन दिया गया था कि जालौर को शामिल किया जाएगा।
बाढ़ का खतरा (Flood Threat)
- 1973 से 2017 तक 8 बार गेट खोलने से जालौर में बाढ़ जैसे हालात बन चुके हैं।
- इस बार भी यदि अचानक गेट खोले गए तो:
- आहोर
- जालौर
- साक्ला
- बागोड़ा
- नेहड़
तक पानी भरने का खतरा है।
- इस समय सूकड़ी और लूणी नदियां भी उफान पर हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।
विधायकों और सरकार की प्रतिक्रिया (Government Response)
- आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित:
- सेई टनल बंद करना गलत है।
- 59 फीट पर गेट खोलने का प्रयास किया जाएगा।
- मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग:
- मुख्यमंत्री से चर्चा हो चुकी है।
- प्रयास रहेगा कि अचानक बाढ़ जैसी स्थिति न बने।
- समय रहते पानी की निकासी शुरू की जाएगी।
निष्कर्ष (Conclusion)
जवाई बांध की स्थिति इस समय जालौरवासियों के लिए चिंता का विषय है। किसानों और संगठनों का विरोध तेज है और प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है। यदि भारी बारिश जारी रही और अचानक गेट खोले गए, तो जालौर, आहोर और आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सरकार और प्रशासन को संतुलित निर्णय लेकर न केवल बांध की सुरक्षा बल्कि जालौर की जनता की भी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
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