भारत में मौसम का मिज़ाज इस समय दो अलग-अलग चेहरों के साथ सामने आया है। जहाँ एक ओर केरल में मानसून 2 दिन पहले, 30 मई को, दस्तक दे चुका है, वहीं उत्तर भारत में भीषण लू और टेम्परेचर 47°C तक पहुँचने से जनजीवन अस्त-व्यस्त है।
इस विरोधाभास ने देशभर में मौसम से जुड़ी तैयारियों और जलवायु परिवर्तन के असर पर नई बहस छेड़ दी है।

🌧️ केरल में समय से पहले मानसून: किसानों में खुशी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 30 मई को घोषणा की कि दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल में समय से पहले प्रवेश किया है।
- सामान्यतः मानसून 1 जून को केरल पहुँचता है, लेकिन इस बार यह 2 दिन पहले सक्रिय हो गया।
- इससे दक्षिण भारत के किसानों को बड़ी राहत मिली है, खासकर जो खरीफ की फसल के लिए तैयारी कर रहे थे।
IMD ने बताया कि मानसून की शुरुआत सक्रिय और मजबूत है, जिससे उम्मीद है कि देश में अच्छी बारिश होगी।
🔥 उत्तर भारत में गर्मी का रिकॉर्ड: अलर्ट जारी
दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में भीषण लू का प्रकोप जारी है।
- दिल्ली के सफदरजंग में तापमान 46.9°C रिकॉर्ड किया गया, जो इस सीज़न का सबसे ऊँचा तापमान है।
- लू के चलते स्कूलों में छुट्टियाँ बढ़ा दी गई हैं और अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मामले बढ़े हैं।
IMD ने रेड अलर्ट जारी किया है और सलाह दी है कि:
- दोपहर 12 से 4 बजे तक बाहर न निकलें
- अधिक से अधिक पानी पिएं
- बुजुर्गों और बच्चों का विशेष ध्यान रखें
🌍 जलवायु परिवर्तन का संकेत?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मौसम का बंटा हुआ मिज़ाज ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन का नतीजा है।
- दक्षिण में बारिश और उत्तर में भीषण गर्मी इस असंतुलन को दर्शाता है।
- वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर तुरंत उपाय नहीं किए गए तो आने वाले वर्षों में मौसम की ये चरम स्थितियाँ आम होती जाएँगी।
✅ सरकार और नागरिकों के लिए सुझाव:
- स्थानीय स्तर पर जल संरक्षण योजनाओं को तेज़ी से लागू किया जाए।
- मानसून से पहले नालियों और जल निकासी की सफाई सुनिश्चित की जाए।
- शहरों में ग्रीन जोन और छायादार क्षेत्रों का विस्तार किया जाए।
- आम नागरिकों को मौसम संबंधी सतर्कता के बारे में जागरूक किया जाए।
निष्कर्ष:
मौसम का यह बदलता चेहरा सिर्फ खबर नहीं, चेतावनी है। एक ओर जहाँ मानसून किसानों की उम्मीदें लेकर आया है, वहीं लू ने जीवन को संकट में डाल दिया है। अब समय है कि हम मौसम की इन चेतावनियों को गंभीरता से लें — न सिर्फ सरकारी स्तर पर, बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर भी।