युवाओं को सट्टेबाजी व ऑनलाइन गेमिंग की लत में धकेलने वाले प्लेटफ़ॉर्म पर कानूनी प्रतिबंध

परिचय

आजकल भारत में ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी की लत युवाओं के बीच तेजी से बढ़ रही है। Dream11, MPL (Mobile Premier League), Rummy Circle जैसे प्लेटफ़ॉर्म खुद को स्किल गेम्स बताकर लाखों युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं। लेकिन असलियत यह है कि इनमें से कई गेमिंग ऐप्स जुए (Betting) के समान काम करते हैं और युवाओं को कर्ज, तनाव और मानसिक बीमारियों तक पहुंचा देते हैं। यही कारण है कि केंद्र और राज्य सरकारें अब इन पर कानूनी प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही हैं।

Dream11 और MPL गेमिंग ऐप्स पर बैन और कानूनी प्रतिबंध को दर्शाती इमेज, जिसमें मोबाइल, गेवेल (हथौड़ा) और रोक का चिन्ह दिखाया गया है।
भारत में युवाओं को सट्टेबाजी की लत से बचाने के लिए Dream11 और MPL जैसे ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर कानूनी कार्रवाई की मांग।

ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी का बढ़ता खतरा

1. युवाओं पर असर

  • अधिकांश युवा इन ऐप्स को “फ्री टाइम पास” मानकर शुरू करते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह एक लत बन जाती है।
  • हारने पर “रीचार्ज करो और फिर से खेलो” जैसी मनोवैज्ञानिक चालें उन्हें कर्ज में धकेल देती हैं।
  • पढ़ाई, करियर और पारिवारिक जीवन पर गहरा असर पड़ता है।

2. मानसिक और सामाजिक प्रभाव

  • तनाव और अवसाद (Depression)
  • परिवारिक झगड़े और आर्थिक संकट
  • सामाजिक अलगाव और असामाजिक गतिविधियों में शामिल होना

Dream11 और MPL जैसे प्लेटफ़ॉर्म क्यों विवादों में?

1. कानूनी दांवपेंच

  • ये कंपनियां कहती हैं कि यह “स्किल गेम्स” हैं, यानी इनमें दिमागी कौशल की जरूरत है।
  • जबकि हकीकत यह है कि इनमें जीत-हार काफी हद तक भाग्य (Luck) पर निर्भर करती है।

2. करोड़ों का मुनाफा, लाखों का नुकसान

  • Dream11 और MPL जैसे प्लेटफ़ॉर्म अरबों का मुनाफा कमा रहे हैं।
  • लेकिन आम खिलाड़ी रोज़ाना सैकड़ों-हजारों रुपये हारकर आर्थिक तंगी में फंस जाते हैं।

3. बच्चों और किशोरों तक पहुँच

  • आसान मोबाइल एक्सेस और विज्ञापन के जरिए किशोर भी इस जाल में फंस रहे हैं
  • यह भविष्य की पीढ़ी को गलत राह पर ले जा सकता है।

सरकार और न्यायपालिका का रुख

1. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट

  • कई राज्यों में हाई कोर्ट ने इन ऐप्स पर सवाल उठाए हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट कहा है कि राज्य सरकारें जुआ और सट्टेबाजी को नियंत्रित कर सकती हैं

2. राज्यों की सख्ती

  • तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों ने ऑनलाइन सट्टेबाजी और रम्मी जैसे गेम्स पर बैन लगाया।
  • हालांकि कंपनियां कोर्ट में जाकर “स्किल गेम्स” की आड़ में अपने बिज़नेस को बचा रही हैं।

3. केंद्र सरकार की पहल

  • 2023 में IT Rules में संशोधन कर ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को सेल्फ-रेग्युलेशन बॉडी बनाने का आदेश दिया गया।
  • अब “सट्टेबाजी” और “गेमिंग” को अलग-अलग पहचान देने पर काम चल रहा है।

युवाओं को कैसे बचाया जाए?

1. कानूनी प्रतिबंध

  • केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर ऐसे ऐप्स पर कड़ा कानून बनाना होगा।
  • गैरकानूनी सट्टेबाजी वाले गेम्स को तुरंत बैन किया जाना चाहिए।

2. अभिभावकों की भूमिका

  • बच्चों के मोबाइल उपयोग पर नज़र रखें।
  • वित्तीय जानकारी (जैसे UPI, कार्ड) बच्चों के मोबाइल में लिंक न करें।

3. जागरूकता अभियान

  • स्कूल और कॉलेज स्तर पर “ऑनलाइन गेमिंग के खतरे” पर सेमिनार आयोजित हों।
  • युवाओं को खेल और करियर की सकारात्मक दिशा में प्रेरित किया जाए।

4. वैकल्पिक मनोरंजन

  • खेल-कूद, जिम, योग और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाए।
  • सरकार और समाज मिलकर युवाओं को पॉजिटिव शौक़ अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें।

निष्कर्ष

Dream11, MPL जैसे ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म युवाओं को आर्थिक नुकसान और मानसिक तनाव की ओर धकेल रहे हैं। यह केवल “मनोरंजन” नहीं, बल्कि एक आर्थिक और सामाजिक खतरा है। सरकार को चाहिए कि इस पर कड़ा कानूनी प्रतिबंध लगाए और साथ ही युवाओं को सही दिशा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाए।

अगर समय रहते यह कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ी एक डिजिटल जुए की लत में बर्बाद हो सकती है।

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