वंदे भारत एक्सप्रेस अब कश्मीर में! PM मोदी ने किया ऐतिहासिक उद्घाटन | चिनाब ब्रिज बना गर्व का प्रतीक

भारतीय रेलवे के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जून 2025 को कश्मीर घाटी में पहली वंदे भारत एक्सप्रेस का उद्घाटन किया। यह ऐतिहासिक कदम न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि कश्मीर के लोगों को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने में एक नया आयाम स्थापित करेगा।


🚆 वंदे भारत एक्सप्रेस अब कश्मीर में – एक ऐतिहासिक कदम

रूट: श्रीनगर से जम्मू तक चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस अब चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल – चिनाब ब्रिज – से होकर गुजरेगी।

  • यह वंदे भारत ट्रेन जम्मू – श्रीनगर के बीच हाई-स्पीड और लग्ज़री सुविधा के साथ चलेगी।
  • ट्रेन में अत्याधुनिक तकनीक, सुरक्षा फीचर, स्मार्ट कोच और 180 किमी/घंटा तक की स्पीड क्षमता है।

🏗️ चिनाब ब्रिज: दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर चिनाब ब्रिज का भी उद्घाटन किया, जो अब विश्व का सबसे ऊंचा रेल पुल बन गया है:

  • ऊँचाई: 359 मीटर (एफिल टावर से भी ऊँचा)
  • लंबाई: 1.3 किलोमीटर
  • यह ब्रिज उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो दशकों से निर्माणाधीन था।
  • इस ब्रिज ने अब कश्मीर घाटी को भारत के रेल नक्शे में पूरी तरह से जोड़ दिया है।

🗣️ PM मोदी ने क्या कहा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा:

“आज का दिन केवल कश्मीर ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का दिन है। वंदे भारत एक्सप्रेस अब कश्मीर की वादियों में भी दौड़ेगी, और चिनाब ब्रिज विश्व को भारत की इंजीनियरिंग शक्ति का प्रमाण देगा।”

उन्होंने आगे कहा कि यह कदम न सिर्फ टूरिज़्म, शिक्षा और व्यापार को गति देगा, बल्कि रोजगार और निवेश के नए द्वार भी खोलेगा।


🌄 पर्यटन और विकास को नई उड़ान

इस वंदे भारत सेवा से श्रीनगर, अनंतनाग, कुलगाम जैसे इलाकों से जम्मू और देश के अन्य हिस्सों तक यात्रा अब तेज़, सुरक्षित और आरामदायक हो गई है।

  • घाटी के लिए नई उम्मीदें: छोटे व्यापारियों, स्टूडेंट्स और टूरिज़्म सेक्टर को सीधा फायदा होगा।
  • सेना और सुरक्षा दृष्टि से भी फायदेमंद: अब लॉजिस्टिक सपोर्ट तेज़ी से पहुंचाया जा सकेगा।

🔍 निष्कर्ष

वंदे भारत एक्सप्रेस का कश्मीर में संचालन और चिनाब ब्रिज का उद्घाटन भारत की तकनीकी प्रगति और एकता की मिसाल है। इस कदम से भारत न केवल अपनी इंजीनियरिंग क्षमता दिखा रहा है, बल्कि जम्मू-कश्मीर को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का भी संकल्प दोहरा रहा है।

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