सरकारी स्कूलों का जलवा…. निजी स्कूल परिणाम में 3 फ़ीसदी पिछड़े

इस बार सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले बाजी मारी। सरकारी स्कूलों ने 90.48% उती‌र्ण प्रतिशत के साथ ( निजी) स्कूलों (87.94%) को पछाड़ा। सरकारी स्कूलों में जवाहर नवोदय,केंद्रीय विद्यालय आदि शामिल हैं। वही देशभर में भी दोनों कक्षाओं में छात्रों के मुकाबले छात्राएं आगे रही।12वीं में 88.39 फ़ीसदी विद्यार्थियों ने सफलता हासिल की । छात्राओं का पास प्रतिशत 91.64 फ़ीसदी, जबकि छात्रों का 85.70 फिसदी रहा।10वीं में 93.66 फ़ीसदी विद्यार्थी पास हुए। इनमें 95% छात्राएं और 92.63% छात्र शामिल है

सुधारों का असर:

बीते वर्षों में सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास, प्रशिक्षित शिक्षक, डिजिटल लर्निंग और मूलभूत सुविधाओं में सुधार किया गया है। इन पहलों का सकारात्मक असर अब परिणामों में नजर आ रहा है।

छात्रों को मिल रहा है समर्थन:

मिड-डे मील, मुफ्त किताबें, यूनिफॉर्म और छात्रवृत्ति जैसी योजनाओं ने सरकारी स्कूलों में नामांकन और उपस्थिति बढ़ाई है। इससे बच्चों की पढ़ाई में निरंतरता बनी रही।

गुणवत्ता में निजी से बेहतर:

सीमित संसाधनों के बावजूद छात्रों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर यह साबित कर दिया है कि अब गुणवत्ता केवल निजी स्कूलों तक सीमित नहीं रही।

सोच में बदलाव:

यह उपलब्धि केवल एक शैक्षणिक जीत नहीं, बल्कि समाज की सोच में बदलाव का संकेत है। अब सरकारी स्कूल मजबूरी नहीं, गर्व की बात बनते जा रहे हैं।

निष्कर्ष

CBSE 2025 के परीक्षा परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी स्कूल अब केवल सीमित संसाधनों वाले संस्थान नहीं, बल्कि गुणवत्ता वाली शिक्षा के मजबूत केंद्र बनते जा रहे हैं। 90.67% उत्तीर्णता दर के साथ उन्होंने यह साबित कर दिया कि समर्पित शिक्षक, नीति सुधार और सही सुविधा मिलने पर सरकारी शिक्षा प्रणाली भी निजी स्कूलों को पीछे छोड़ सकती है।

यह बदलाव सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज की सोच में आ रहे सकारात्मक परिवर्तन का संकेत है। अब सरकारी स्कूल मजबूरी नहीं, गर्व और भरोसे का प्रतीक बनते जा रहे हैं। यह न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक संकेत है कि बदलाव संभव है — यदि प्रयास ईमानदार हों।

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