स्वच्छता में पिछड़ता राजस्थान: असफलता की वजहें और सुधार की दिशा


🔹 भूमिका: स्वच्छता सर्वेक्षण — शहरों की असली तस्वीर

हर साल किया जाने वाला स्वच्छता सर्वेक्षण सिर्फ एक रैंकिंग नहीं, बल्कि यह बताता है कि कौन से राज्य और शहर अपने नागरिकों की सेहत, सम्मान और जीवन गुणवत्ता को लेकर कितने गंभीर हैं।
स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 के हालिया परिणामों ने राजस्थान के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। एक बार फिर, राज्य के शहर देश के शीर्ष स्वच्छ शहरों की सूची से बाहर हो गए हैं।


🔻 राजस्थान की गिरती स्वच्छता रैंकिंग: क्या हो रहा है गलत?

  • 2021: 12वाँ स्थान (उम्मीद थी)
  • 2022: 18वीं रैंक (गिरावट शुरू)
  • 2023: 254वाँ स्थान (भयावह गिरावट)

यह लगातार गिरती हुई स्थिति सिर्फ एक संख्या नहीं है — यह दर्शाती है कि राजस्थान में स्थानीय प्रशासन, शहरी निकायों और नागरिकों के बीच समन्वय की गंभीर कमी है।


❌ असफलता की मूल वजहें: क्यों पिछड़ रहा है राजस्थान?

🛑 निकायों की निष्क्रियता और गैर-जिम्मेदाराना रवैया

  • जयपुर ग्रेटर और धौलपुर को छोड़कर किसी भी निकाय को अवॉर्ड की जानकारी तक नहीं।
  • ज़्यादातर नगर निकाय बुनियादी प्रक्रिया जैसे डाटा अपलोड, फ़ोटो, दस्तावेज़ आदि भेजने में विफल।

🕳️ पारदर्शिता की भारी कमी

  • जिन शहरों ने अच्छा प्रदर्शन किया, वहां फील्ड वर्क, रिपोर्टिंग और निगरानी में पारदर्शिता रही।
  • राजस्थान के अधिकतर शहरों में ऑन-ग्राउंड काम और रिपोर्टिंग में लापरवाही रही।

🙅‍♂️ नागरिकों की भागीदारी का अभाव

  • स्वच्छता कोई सरकारी अभियान मात्र नहीं — इसमें जन सहभागिता आवश्यक है।
  • राजस्थान में जन-जागरूकता और सामाजिक प्रयास बेहद कमज़ोर रहे।

📉 प्रमुख शहरों की हालत: हर तरफ गिरावट ही गिरावट

🔸 जयपुर ग्रेटर

173 में से मात्र 4679.60 अंक, रैंक में 33 स्थान की गिरावट

🔸 हनुमानगढ़

लगातार तीन वर्षों से अवॉर्ड से बाहर

🔸 अलवर, कोटा, बीकानेर

पहले शीर्ष रैंकिंग वाले शहर अब नीचे फिसलते जा रहे हैं


🏆 मध्यप्रदेश से सीख लेने की ज़रूरत: कैसे चमकते हैं उनके शहर?

इंदौर, भोपाल, उज्जैन जैसे शहर लगातार स्वच्छता में अव्वल — कारण?

  • प्रोएक्टिव नगर निगम
  • डिजिटल फीडबैक सिस्टम
  • नागरिकों की सक्रिय भागीदारी
  • रोज़ाना सफाई और सख्त मॉनिटरिंग

राजस्थान को मध्यप्रदेश के मॉडल से सीखते हुए बदलाव की पहल करनी चाहिए।


✅ समाधान की दिशा: राजस्थान क्या कर सकता है?

📌 नगर निकायों की जवाबदेही तय की जाए

  • हर नगर निकाय के पास स्वच्छता टीम, रियल टाइम अपडेट, और ट्रैकिंग सिस्टम हो।

📣 जन-जागरूकता को अभियान बनाएं

  • स्कूली बच्चों, कॉलेज युवाओं, महिला मंडलों और RWA के साथ मिलकर सफाई को जन आंदोलन बनाएं।

🧹 सफाई कर्मचारियों के लिए बेहतर व्यवस्था

  • सेफ्टी गियर, मशीनें, ट्रेनिंग, और नियमित मूल्यांकन।

📱 स्वच्छता एप का अनिवार्य उपयोग

  • जनता अपनी शिकायतें, सुझाव और फीडबैक ऐप के ज़रिए सीधे भेज सके।

🎖️ प्रोत्साहन और दंड — दोनों ज़रूरी

  • अच्छे कार्य के लिए अवॉर्ड और लापरवाही पर कठोर कार्यवाही

🔚 निष्कर्ष: अब नहीं सुधरे तो बहुत देर हो जाएगी

राजस्थान का स्वच्छता रैंकिंग में पिछड़ना सिर्फ एक शर्मनाक रिपोर्ट नहीं — यह दर्शाता है कि अभी भी हम गंदगी को गंभीरता से नहीं ले रहे
यह समय है जागरूकता, जिम्मेदारी और जन-भागीदारी को लेकर सख्ती से आगे बढ़ने का।
वरना गंदगी केवल रैंकिंग नहीं गिराएगी, बल्कि हमारे स्वास्थ्य, पर्यटन, और समाज को भी बीमार कर देगी।


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