भारत के शिक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी फैसला लिया गया है। CBSE (सीबीएसई) ने घोषणा की है कि 2026 से कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) की सिफारिशों के अनुरूप है और छात्रों के समग्र विकास, मानसिक स्वास्थ्य और प्रदर्शन सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

📌 क्या है यह नया बदलाव?
CBSE बोर्ड ने तय किया है कि वर्ष 2026 से 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं फरवरी और मई में दो बार आयोजित की जाएंगी।
- पहली परीक्षा मुख्य परीक्षा कहलाएगी।
- दूसरी परीक्षा सुधार परीक्षा होगी।
- दोनों परीक्षाओं में विषय परिवर्तन की अनुमति नहीं होगी, लेकिन छात्रों को यह विकल्प दिया जाएगा कि वे अपने प्रदर्शन को सुधारने के लिए दोबारा परीक्षा में बैठ सकते हैं।
✅ ये हैं नए नियम – संक्षेप में:
- पाठ्यक्रम समान रहेगा – दोनों परीक्षाएं समान पाठ्यक्रम पर आधारित होंगी। कोई अलग सिलेबस नहीं होगा।
- छात्रों को केवल वही विषय दोबारा देना होगा, जिसमें वे प्रदर्शन सुधारना चाहते हैं।
- सिर्फ उन्हीं छात्रों को दोबारा परीक्षा देने की अनुमति होगी, जिन्होंने पहली परीक्षा दी हो।
- विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और भाषाओं में से कोई भी तीन विषय दोबारा देने की अनुमति होगी।
- दोनों परीक्षाओं की फीस देनी होगी।
- जिस परीक्षा में बेहतर अंक होंगे, वही अंक फाइनल रिजल्ट में माने जाएंगे।
🎯 इस बदलाव के पीछे क्या है सोच?
भारत में सालों से बोर्ड परीक्षाएं एक “वन चांस गेम” की तरह होती रही हैं। एक बार में बेहतर प्रदर्शन नहीं करने पर छात्र को सालभर इंतजार करना पड़ता था। इससे मानसिक दबाव और तनाव भी बढ़ता था।
नई व्यवस्था छात्रों को दूसरा मौका देती है – ‘फेल नहीं, फिक्स करो!’ यही इस बदलाव का मूल मंत्र है।
💡 छात्रों को होंगे ये 5 बड़े फायदे:
- दबाव में कमी – अब छात्रों पर यह मानसिक बोझ नहीं रहेगा कि एक ही परीक्षा में अच्छा करना है। दूसरी परीक्षा के विकल्प से आत्मविश्वास बढ़ेगा।
- परफॉर्मेंस में सुधार का मौका – यदि पहली परीक्षा में कोई गलती हुई है, तो दूसरी बार उसे सुधारने का मौका मिलेगा।
- बेहतर योजना और समय प्रबंधन – छात्र अब अपनी तैयारी को चरणबद्ध तरीके से प्लान कर सकते हैं।
- समान अवसर – कमजोर पृष्ठभूमि या विशेष परिस्थितियों वाले छात्र, जैसे कि लद्दाख, सिक्किम, हिमाचल के दूरदराज इलाकों से आने वाले बच्चों को भी बराबरी का मौका मिलेगा।
- कोचिंग व प्रेशर का बोझ कम होगा – छात्र कोचिंग संस्थानों के अनावश्यक दबाव से मुक्त होंगे और आत्मनिर्भर बनेंगे।
🧠 कुछ संभावित चुनौतियाँ भी होंगी
हर नयी व्यवस्था के साथ कुछ प्रश्न और चुनौतियाँ भी आती हैं:
- क्या स्कूल प्रशासन और परीक्षा केंद्र दो बार परीक्षा आयोजन के लिए तैयार हैं?
- क्या शिक्षकों को दो सेट मूल्यांकन कार्यों का बोझ उठाना पड़ेगा?
- छात्रों को दो बार परीक्षा देने की तैयारी का मानसिक संतुलन कैसे बनाए रखा जाएगा?
इन सवालों पर नीति-निर्माताओं को लगातार नजर रखनी होगी और समय के साथ सुधार करना होगा।
📚 शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका
इस नए सिस्टम को सफल बनाने में शिक्षकों और अभिभावकों की अहम भूमिका होगी। उन्हें चाहिए कि:
- बच्चों को पहला प्रयास ही गंभीरता से लेने के लिए प्रेरित करें।
- दोबारा परीक्षा को “जरूरी” नहीं बल्कि “वैकल्पिक अवसर” के रूप में देखें।
- बच्चों पर अतिरिक्त दबाव न बनाएं बल्कि उन्हें संतुलित मार्गदर्शन दें।
🔍 CBSE का उद्देश्य क्या है?
इस बदलाव के पीछे CBSE की मंशा है कि:
“हर बच्चा अपने भीतर के सर्वश्रेष्ठ को बाहर ला सके। परीक्षा डर नहीं, विकास का माध्यम बने।”
यह सिर्फ बोर्ड परीक्षा का नहीं, सोच और प्रणाली का परिवर्तन है।
✨ निष्कर्ष – एक सकारात्मक दिशा में कदम
CBSE द्वारा 2026 से 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार कराने का फैसला निश्चित ही शिक्षा प्रणाली में एक क्रांतिकारी परिवर्तन है। यह छात्रों को न केवल एक और अवसर देता है, बल्कि उन्हें तनावमुक्त होकर सीखने और आगे बढ़ने का हक भी देता है।
शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ अंक लाना नहीं, बल्कि जीवन के लिए तैयार करना है। और यह निर्णय उसी दिशा में उठाया गया एक सराहनीय कदम है।
आपका क्या मत है इस बदलाव पर? क्या यह कदम छात्रों के हित में है? नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।