भूमिका
आज के डिजिटल युग में अधिकांश युवा लंबे समय तक कंप्यूटर स्क्रीन या मोबाइल फोन पर काम करते हैं। आईटी सेक्टर और डिजिटल मार्केटिंग जैसी नौकरियां, जहां रोज़ाना 8–10 घंटे बैठकर काम करना पड़ता है, युवाओं की सेहत पर गंभीर असर डाल रही हैं। इसके साथ-साथ फास्ट फूड का बढ़ता चलन लिवर से जुड़ी बीमारियों को और तेज़ी से बढ़ा रहा है। हाल ही में हुई एक रिसर्च में पाया गया है कि आईटी सेक्टर के 84% युवा और फास्ट फूड खाने वाले 76% लोग फैटी लिवर की समस्या से जूझ रहे हैं।
फैटी लिवर क्या है?
फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिवर की कोशिकाओं में चर्बी जमा हो जाती है। यह शुरुआती चरण में खतरनाक नहीं दिखती, लेकिन समय रहते इलाज न मिलने पर यह गंभीर बीमारियों जैसे लिवर सिरोसिस, लिवर फेलियर और यहां तक कि लिवर कैंसर तक का कारण बन सकती है।
फैटी लिवर दो तरह का होता है:
- नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर – शराब का सेवन न करने वालों में भी यह समस्या बढ़ रही है, खासकर खराब खान-पान और बैठे-बैठे काम करने की आदत से।
- अल्कोहलिक फैटी लिवर – यह शराब पीने वालों में होता है, लेकिन फास्ट फूड और ओवरईटिंग भी इसे और खराब कर सकते हैं।
10 घंटे की बैठने की आदत: खतरे की घंटी
रोजाना लंबे समय तक बैठकर काम करने से शरीर में कैलोरी बर्न की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
- रक्त संचार पर असर – घंटों बैठने से ब्लड फ्लो कम हो जाता है, जिससे मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है।
- वजन बढ़ना – कैलोरी खर्च न होने के कारण वजन तेजी से बढ़ने लगता है।
- लिवर पर दबाव – अधिक वसा और कम शारीरिक गतिविधि लिवर में फैट जमा होने की संभावना बढ़ाती है।
आईआईएमएसआर की स्टडी में पाया गया कि जो लोग रोज़ाना 9–10 घंटे बैठकर काम करते हैं, उनमें फैटी लिवर का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में लगभग दोगुना होता है।
फास्ट फूड: लिवर का दुश्मन
पिज़्ज़ा, बर्गर, फ्रेंच फ्राइज, कोल्ड ड्रिंक और पैकेज्ड फूड में ट्रांस फैट, प्रिज़र्वेटिव्स और हाई शुगर की मात्रा अधिक होती है। ये तत्व न केवल वजन बढ़ाते हैं बल्कि लिवर में चर्बी जमा करने का काम भी करते हैं।
- हाई कैलोरी, लो न्यूट्रिएंट – फास्ट फूड में विटामिन और मिनरल्स की कमी होती है।
- इंसुलिन रेसिस्टेंस – अधिक शुगर और कार्ब्स से इंसुलिन रेसिस्टेंस बढ़ता है, जिससे फैटी लिवर का खतरा कई गुना हो जाता है।
- सूजन और इंफ्लेमेशन – प्रोसेस्ड फूड लिवर में इंफ्लेमेशन पैदा करता है, जिससे इसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
रिसर्च के चौंकाने वाले आंकड़े

आईआईएमएसआर के अनुसार:
- आईटी सेक्टर में काम करने वाले 84% युवाओं में फैटी लिवर के लक्षण पाए गए।
- 76% फास्ट फूड खाने वाले लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं।
- सबसे ज्यादा प्रभावित उम्र 25 से 45 साल के बीच पाई गई।
इस आयु वर्ग के लोग अपने करियर और लाइफस्टाइल के कारण शारीरिक गतिविधियों पर कम ध्यान देते हैं, जिससे समस्या और बढ़ जाती है।
लक्षण जिन्हें नज़रअंदाज़ न करें
शुरुआत में फैटी लिवर के लक्षण हल्के हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ ये गंभीर रूप ले सकते हैं:
- लगातार थकान रहना
- पेट के दाहिने हिस्से में भारीपन या हल्का दर्द
- पाचन में गड़बड़ी
- वजन तेजी से बढ़ना
- आंखों और त्वचा का पीला पड़ना (गंभीर स्थिति में)
कारण
- लंबे समय तक बैठना और शारीरिक गतिविधि की कमी
- हाई-कैलोरी और फास्ट फूड का सेवन
- शुगर और कोल्ड ड्रिंक्स का अधिक उपयोग
- नींद की कमी
- तनाव और अनियमित दिनचर्या
बचाव के उपाय
- डेली एक्सरसाइज – कम से कम 30–45 मिनट की शारीरिक गतिविधि ज़रूरी है।
- हेल्दी डाइट – हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, और कम वसा वाले प्रोटीन को डाइट में शामिल करें।
- फास्ट फूड से दूरी – हफ्ते में एक-दो बार से ज्यादा न खाएं।
- पानी ज्यादा पिएं – दिन में कम से कम 3–4 लीटर पानी लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करता है।
- ब्रेक लें – हर 1 घंटे बाद 5–10 मिनट खड़े होकर चलें।
- तनाव कम करें – योग और मेडिटेशन को दिनचर्या में शामिल करें।
आईटी प्रोफेशनल्स के लिए खास टिप्स
- स्टैंडिंग डेस्क का इस्तेमाल करें।
- ऑफिस ब्रेक के दौरान लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का उपयोग करें।
- लंच में हल्का और पौष्टिक भोजन लें।
- मीटिंग के दौरान वॉक-एंड-टॉक का प्रयोग करें।
निष्कर्ष
फैटी लिवर एक साइलेंट किलर है जो धीरे-धीरे आपकी सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। आईटी सेक्टर और फास्ट फूड लवर्स को अपनी आदतों में सुधार करके इस बीमारी से बचा जा सकता है। रोज़ाना थोड़ी सी शारीरिक गतिविधि, हेल्दी डाइट और संतुलित लाइफस्टाइल अपनाकर आप लिवर को स्वस्थ रख सकते हैं।
याद रखें – “आपका लिवर आपका लाइफ इंजन है, इसे फ्यूल सही दें।”
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