परिचय
सरकार ने राज्य में लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। मंत्रियों की उप-समिति ने 3443 नई ग्राम पंचायतों के गठन को मंजूरी दे दी है। साथ ही, 81 पंचायत समितियों और 8 नई जिला परिषदों के गठन का भी प्रस्ताव रखा गया है। अब राज्य सरकार जल्द ही नई पंचायतों को लेकर गजट नोटिफिकेशन जारी करने की तैयारी कर रही है। इस फैसले के बाद प्रदेश की स्थानीय स्वशासन व्यवस्था में बड़ा बदलाव होगा और पंचायत प्रणाली को नई दिशा मिलेगी। आने वाले समय में ग्रामीण विकास की हर योजना सीधे पंचायत स्तर तक पहुंचेगी।
राजस्थान में पंचायत व्यवस्था की वर्तमान स्थिति

- फिलहाल प्रदेश में 11,341 ग्राम पंचायतें और 352 पंचायत समितियां कार्यरत हैं।
- नई पंचायतों के गठन के बाद यह संख्या बढ़कर 14,784 ग्राम पंचायतें और लगभग 433 पंचायत समितियां हो जाएगी।
- इस विस्तार से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास योजनाओं का सीधा असर लोगों तक पहुँचाने में आसानी होगी।
नई पंचायतों के गठन के लिए अपनाया गया फॉर्मूला
सामान्य क्षेत्र
- एक ग्राम पंचायत के गठन के लिए न्यूनतम 2,550 की जनसंख्या का पैमाना रखा गया है।
रेगिस्तानी जिले
- यहां की भौगोलिक स्थिति और बिखरी आबादी को ध्यान में रखते हुए 1,500 की आबादी पर पंचायत बनाई जाएगी।
जनजातीय (Tribal) क्षेत्र
- ट्राइबल क्षेत्रों में 1,600 की आबादी को आधार मानकर ग्राम पंचायतों का गठन किया गया है।
पंचायत समितियां
- 2 लाख की जनसंख्या या न्यूनतम 40 ग्राम पंचायतें होने पर एक पंचायत समिति बनाई जाएगी।
- ट्राइबल क्षेत्रों में यह सीमा 1.5 लाख की जनसंख्या या 40 ग्राम पंचायतें रखी गई है।
जिला परिषद
- जिला परिषद का गठन जिले की कुल आबादी के आधार पर किया जाएगा।
क्षेत्रवार पंचायतों का वितरण
मारवाड़ के जिले
- सर्वाधिक नई पंचायतों का प्रस्ताव मारवाड़ क्षेत्र से आया है।
- जोधपुर – 244 ग्राम पंचायत, 14 पंचायत समितियां
- बाड़मेर – 277 ग्राम पंचायत, 3 पंचायत समितियां
जयपुर जिला
- जयपुर में 143 ग्राम पंचायत और 4 पंचायत समितियां प्रस्तावित हैं।
भीलवाड़ा
- 121 ग्राम पंचायत और 3 पंचायत समितियां गठित की जाएंगी।
प्रशासनिक चुनौतियां और तैयारियां
नई पंचायतों के गठन के बाद चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती होगा। इसके लिए कई कार्य पूरे करने जरूरी हैं:
- वार्डों का परिसीमन (Delimitation)
- वोटर लिस्ट का पुनर्गठन
- OBC आरक्षण का निर्धारण
- प्रशासनिक ढांचे की तैयारी
जब तक ये कार्य पूरे नहीं होते, तब तक चुनाव कराना संभव नहीं है।
न्यायालय में लंबित याचिकाएं
इस मामले में अब तक लगभग 250 याचिकाएं कोर्ट में लगाई गई थीं। अब राज्य सरकार हाईकोर्ट से दिशा-निर्देश लेते हुए गजट नोटिफिकेशन जारी करेगी। यह कदम कानूनी बाधाओं को दूर करने और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए जरूरी है।
कैबिनेट सब-समिति और सीएम का निर्णय
नई पंचायतों के गठन की प्रक्रिया पांच मंत्रियों की कमेटी द्वारा सुझाई गई है। इस कमेटी के संयोजक शिक्षा और पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर हैं।
- अब अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री स्तर पर लिया जाएगा।
- निर्णय के बाद राज्यभर में नई पंचायतों का रास्ता पूरी तरह साफ हो जाएगा।
नई पंचायतों के गठन के फायदे
ग्रामीण स्तर पर प्रशासन की मजबूती
नई पंचायतों से गांव-गांव तक प्रशासन की पहुँच आसान होगी।
विकास योजनाओं का लाभ
छोटे-छोटे पंचायत क्षेत्रों में योजनाओं का सीधा असर दिखेगा।
रोजगार और अवसर
नई पंचायत समितियों और जिला परिषदों में कर्मचारियों और अधिकारियों की नियुक्ति से रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
सामाजिक समरसता
पंचायतें स्थानीय स्तर पर विवाद समाधान और सामाजिक सहयोग की सबसे बड़ी इकाई होती हैं। नई पंचायतों से यह और मजबूत होगा।
चुनौतियां
- राजनीतिक दबाव – कई क्षेत्रों में पंचायत मुख्यालय को लेकर खींचतान हो सकती है।
- वित्तीय बोझ – नई पंचायतों को चलाने के लिए अतिरिक्त बजट और संसाधनों की जरूरत होगी।
- प्रशासनिक विलंब – परिसीमन, आरक्षण और मतदाता सूची का काम लंबा खिंच सकता है।
निष्कर्ष

राजस्थान में 3443 नई पंचायतों के गठन का फैसला राज्य की लोकतांत्रिक संरचना और ग्रामीण विकास के लिए ऐतिहासिक कदम है। इससे स्थानीय स्तर पर लोकतंत्र और मजबूत होगा और ग्रामीण जनता को योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा। हालांकि, इसके साथ प्रशासनिक और वित्तीय चुनौतियां भी सामने आएंगी।
राज्य सरकार के लिए यह अवसर है कि वह पंचायत व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, प्रभावी और जवाबदेह बनाकर ग्रामीण भारत में एक नई मिसाल कायम करे।
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