हरियाणा और पंजाब की जीवनरेखा कही जाने वाली Ghaggar नदी (Ghaggar River) इस बार किसानों और ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गई है। हाल ही में Ghaggar River के बेकाबू पानी ने कई जगहों पर बांधों को तोड़ दिया, जिससे खेतों में खड़ी फसलें जलमग्न हो गईं। रिपोर्ट्स के अनुसार, गांव 22 व 24 जीबी के पास दो जगह बांध टूटने से करीब 65 बीघा में खड़ी फसलों को नुकसान पहुँचा। यह स्थिति सिर्फ किसानों के लिए नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए संकट की घंटी है।
🌾 किसानों की जद्दोजहद और रातभर का संघर्ष
6 घंटे में कटाव को रोकने की कोशिश
किसानों और ग्रामीणों ने मिलकर 6 घंटे की मशक्कत में नालियों और बेड को दुरुस्त करने का प्रयास किया। Ghaggar के पानी की आवक इतनी तेज थी कि 6000 क्यूसेक पानी का दबाव संभालना मुश्किल हो गया। रास्तों के संकरे होने और मशीनों के देर से पहुँचने के कारण हालात और बिगड़ गए।
Ghaggar River से खेतों में तबाही

- लगभग 65 बीघा क्षेत्र में धान, कपास और बाजरा जैसी खड़ी फसलें जलमग्न हो गईं।
- किसानों का कहना है कि अगर समय पर बांधों को मजबूत नहीं किया गया, तो नुकसान कई गुना बढ़ सकता है।
- गेंहूँ की बुवाई और अगली फसलों पर भी इसका असर पड़ेगा।
ग्रामीणों की सामूहिक पहल
ग्रामीणों और किसानों ने खुद ही रेत से भरे बोरे और ट्रैक्टर-ट्रॉली की मदद से अस्थायी बांध बनाने की कोशिश की। प्रशासनिक मदद देर से पहुँचने के बावजूद, गांव के लोग पूरी ताकत से पानी को रोकने में जुटे रहे।
प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया
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मौके पर अधिकारी और निरीक्षण
रिपोर्ट्स के अनुसार, स्थानीय प्रशासन ने तुरंत मोर्चा संभाला। पुलिस और सिंचाई विभाग के अफसर मौके पर पहुँचे और अस्थायी समाधान निकाला।
सरकार से उम्मीदें
किसानों की सबसे बड़ी मांग है कि:
- तुरंत मुआवजा योजना (Compensation for Farmers) घोषित की जाए।
- टूटे बांधों की मरम्मत जल्द से जल्द हो।
- भविष्य के लिए पक्के तटबंध (Strong Embankments) बनाए जाएं।
आपदा प्रबंधन विभाग की चुनौती
Disaster Management Department ने तीन दिन का अलर्ट जारी किया है। अगर बारिश और हुई, तो हालात और गंभीर हो सकते हैं।
सीमा क्षेत्र पर खतरा – India-Pak Border Impact
Zero Line तक पहुँचा पानी
Ghaggar River का पानी सिर्फ गांवों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि भारत-पाक सीमा की जीरो लाइन तक पहुँच गया। इससे BSF और सीमा सुरक्षा एजेंसियाँ भी सतर्क हो गई हैं।
भेदातल तक पहुँचेगा पानी
विशेषज्ञों का कहना है कि अगले तीन दिनों में पानी भेदातल तक पहुँच सकता है। इससे सीमा क्षेत्र की फसलें और गाँव दोनों खतरे में आ सकते हैं।
नुकसान का आकलन (Impact Analysis)
फसलों का भारी नुकसान
- धान (Paddy) – पूरी तरह पानी में डूब गया।
- कपास (Cotton) – तनों में सड़न की आशंका।
- बाजरा (Millet) – खेतों से बह गया।
आर्थिक संकट
- किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हुआ।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ेगा।
- मजदूरों की रोज़गार व्यवस्था भी प्रभावित होगी।
पर्यावरणीय प्रभाव
- पानी के लंबे समय तक रुकने से जमीन की उर्वरता प्रभावित होगी।
- नालियों और जलधाराओं में गाद भरने की संभावना बढ़ गई है।
समाधान और सुझाव
अल्पकालिक समाधान
- अस्थायी बांधों को मजबूत करना।
- प्रशासनिक मदद को तेज करना।
- राहत सामग्री (Food & Shelter) का वितरण।
दीर्घकालिक समाधान
- Ghaggar River पर स्थायी तटबंध का निर्माण।
- River Management Policy बनाना।
- किसानों के लिए फसल बीमा (Crop Insurance) को अनिवार्य करना।
- जलभराव से निपटने के लिए ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करना।
तकनीकी उपाय
- Flood Forecasting with AI Technology
- Satellite Monitoring से जलस्तर पर नज़र
- Early Warning Systems का इस्तेमाल
निष्कर्ष (Conclusion)
हरियाणा और पंजाब की धरती एक बार फिर Ghaggar River Flood 2025 के संकट से जूझ रही है। टूटे बांध, डूबी फसलें और संघर्षरत किसान इस बात की याद दिलाते हैं कि नदियों का प्रबंधन केवल मौसमी मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए। अगर सरकार और समाज मिलकर ठोस कदम नहीं उठाएंगे, तो आने वाले सालों में यह संकट और भी गहराता जाएगा।
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