पिता: वो छांव जो हमेशा सिर पर रहती है

“जिसने अपने हिस्से की धूप में मुझे छांव दी… वो पिता था।”

कुछ रिश्ते जीवन में इतने गहरे होते हैं कि उनके बिना हमारी पहचान अधूरी सी लगती है। पिता – यह शब्द जितना छोटा है, भावनाओं में उतना ही विशाल। अगर माँ जीवन की कोमलता है, तो पिता उसकी मजबूती। माँ आँचल है, तो पिता छाया। माँ सिखाती है ‘प्यार’, पिता सिखाते हैं ‘संघर्ष में मुस्कुराना’।
हर साल जून महीने का तीसरा रविवार फादर्स डे के रूप में मनाया जाता है। यह दिन पिता को समर्पित है, लेकिन सवाल यह है कि क्या एक दिन काफी है उस इंसान के लिए, जो हर दिन आपके लिए जिया हो?

पिता – एक मौन तपस्वी

पिता अक्सर कम बोलते हैं, लेकिन उनकी खामोशी में भी सैकड़ों जज़्बात होते हैं।
वो बिना कहे सब कुछ समझते हैं।
वो अपने दर्द को हँसी में छुपा लेते हैं ताकि उनके बच्चे चिंता न करें।
वो खुद गीले में सोते हैं, ताकि बच्चों का बिस्तर सूखा रहे।
वो सर्दियों में कम्बल नहीं ओढ़ते, ताकि बेटा/बेटी गर्म सो सकें।
पिता वो नींव हैं, जिन पर पूरा घर टिका होता है – मजबूत, शांत, और अडिग।

 बचपन में पिता का साथ: छाया नहीं, शक्ति

बचपन में जब हम पहली बार गिरते हैं और रोने लगते हैं, तब माँ हमें गोद में उठा लेती है, लेकिन पिता… वो थोड़ी दूर खड़े रहकर मुस्कुराते हैं और कहते हैं – “उठ जा बेटा, तू गिरने के लिए नहीं बना।”
ये बात हम उस वक्त नहीं समझते, लेकिन यही शब्द हमारे जीवन की पहली प्रेरणा बन जाते हैं।
पिता हमें उड़ने के लिए पंख देते हैं, लेकिन उड़ान की ऊँचाई को खुद कभी महसूस नहीं करवाते।
वो खुद ज़मीन से जुड़े रहते हैं ताकि हम बादलों तक पहुँच सकें।

त्याग की परिभाषा: पिता

एक पिता वही होता है जो नई चीज़ खरीदने से पहले यह सोचता है कि बच्चों की फीस भरी है या नहीं।
वो खुद कभी अपने लिए नया फोन नहीं लेता, लेकिन बच्चे को पढ़ाई या ऑनलाइन क्लास के लिए हर सुविधा देता है।
उसका समय, उसका वेतन, उसकी चिंता – सब कुछ सिर्फ एक लक्ष्य के लिए होता है – “बच्चों का भविष्य अच्छा हो।”
त्याग शब्द अगर किसी जीवित इंसान पर फिट बैठता है, तो वो है – पिता।

मार्गदर्शक, लेकिन दूर से

पिता का प्यार माँ की तरह दिखावा नहीं करता, वो थोड़ी सख़्ती में भी छिपा होता है।
जब हम गलती करते हैं और माँ चुपचाप सह लेती हैं, तब पिता डाँटते हैं…
लेकिन उस डाँट के पीछे एक डर होता है – “कहीं मेरा बच्चा भटक न जाए।”
पिता वह नाविक हैं जो खुद पतवार पकड़े रहते हैं, लेकिन हमें लगता है कि हम खुद चल रहे हैं।
उनकी चुप्पी हमारी स्वतंत्रता को मौका देती है, लेकिन उनकी निगाहें हमेशा हमारी सुरक्षा में लगी रहती हैं।

फादर्स डे का सही अर्थ

फादर्स डे पर हम अक्सर उन्हें घड़ी, पर्स, या शर्ट जैसी चीजें गिफ्ट करते हैं।
लेकिन क्या आपने कभी उन्हें एक खत लिखा है?
क्या आपने कभी उनसे बैठकर कहा है –
“पापा, आपसे मैंने जीवन जीना सीखा है। आप मेरे पहले दोस्त, पहले टीचर और पहले हीरो हैं।”
इस फादर्स डे पर गिफ्ट से ज्यादा उन्हें अपनापन दीजिए।
कुछ पल उनके साथ बिताइए, जो आप शायद सालों से टालते आ रहे हैं।

आज के पिता: बदलते समय में भी अडिग

आज के पिता पुराने समय की तरह कठोर नहीं हैं।
वो बच्चों के साथ वीडियो गेम खेलते हैं, खाना बनाना सीखते हैं, स्कूल के प्रोजेक्ट में मदद करते हैं,
और सबसे बड़ी बात – वो अब अपने बच्चों के साथ भावनात्मक रूप से भी जुड़े रहते हैं।
पिता अब ‘डर’ की नहीं, ‘प्यार’ की मिसाल बनने लगे हैं।
आज का पिता अपने बच्चे से “आई लव यू बेटा” कहने में हिचकिचाता नहीं है।

पिता की खामोशियों को पढ़िए

कई बार पिता बहुत कुछ कहना चाहते हैं, लेकिन कह नहीं पाते।
उन्हें हमारी तरफ से बस एक मुस्कान, एक स्पर्श या एक धन्यवाद चाहिए होता है।
अगर आप उनसे दूर हैं, तो उन्हें फोन कीजिए, और कहिए –
“पापा, आप दुनिया के सबसे मजबूत इंसान हैं, लेकिन आपके प्यार की कोमलता मुझे रोज़ महसूस होती है।”

अंतिम पंक्तियाँ:

पिता – वो नदी है जो बहती रहती है, पर कभी शोर नहीं मचाती।
वो आकाश है, जो हमेशा सिर पर छाया बनकर रहता है।
वो वो मुस्कान है, जो बच्चों की खुशी में खुद को भूल जाता है।
पिता होना आसान नहीं है, और पिता को समझना उससे भी कठिन।
लेकिन अगर आपने पिता को समझ लिया… तो आपने जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई जान ली।”

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