✒️ “हमें पहली बार मौका मिला… और हमने दुनिया को दिखा दिया कि हम किसी से कम नहीं!”
🔷 परिचय: सरहद पर बदलता परिदृश्य
भारत-पाकिस्तान सीमा हमेशा से एक संवेदनशील और वीरता की प्रतीक भूमि रही है। लेकिन इस बार इतिहास तब रचा गया, जब सीमा पर सिर्फ बंदूकें नहीं, बल्कि बेटियों का आत्मविश्वास, पराक्रम और दुश्मनों को पीछे हटाने वाली दहाड़ सुनाई दी। बीएसएफ की महिला जवानों ने एक ऐतिहासिक मिशन में हिस्सा लिया और दुश्मनों को उनकी ही ज़मीन पर करारा जवाब दिया।
“हमारी शेरनियों की दहाड़ से चौकी छोड़ भागे पाकिस्तानी सैनिक” – यही है वो गर्व, जो आज हर भारतीय के दिल में धड़क रहा है।

👩✈️ ऑपरेशन सिन्दूर: बेटियों का पहला सरहदी ऑपरेशन
इस ऐतिहासिक ऑपरेशन का नाम था – “ऑपरेशन सिन्दूर“। यह मिशन बीएसएफ की महिला कंपनी ने 10 मई को शाम 3 बजे के करीब पंजाब सेक्टर में अंजाम दिया।
🔹 इस ऑपरेशन में शामिल थीं:
- सहायक कमांडेंट नेहा भंडारी (नेतृत्व में)
- 8 महिला जवानों की टीम
- जगह: भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा
यह पहली बार था जब महिलाओं को सीधी सरहद पर तैनाती दी गई और उन्होंने पूरी निष्ठा से अपनी ड्यूटी निभाई।
💥 जब महिलाएं मोर्चे पर डटीं और दुश्मन भाग खड़े हुए
इस मिशन में महिलाएं गोलीबारी, घातक वातावरण और पाकिस्तान की बंकर पोजीशन के बिलकुल सामने थीं। रिपोर्ट के अनुसार:
- महिला बीएसएफ जवानों ने पाकिस्तान की अग्रिम चौकी के बेहद पास जाकर मोर्चा संभाला।
- जब दुश्मन ने उन्हें देखा, तो वे अपने ठिकाने छोड़कर पीछे हट गए।
“मैं याद दिलाती रही – ज़िंदा रहोगे तभी दुश्मनों को ज़्यादा मारोगे” – यह कहती हैं नेहा भंडारी, जो मिशन के दौरान अपने दल का मनोबल बढ़ाती रहीं।
📌 महिला शक्ति की मिसाल: ‘हम किसी से कम नहीं’
ऑपरेशन सिंदूर में भाग लेने वाली महिला जवानों ने साबित किया कि:
- वे शारीरिक व मानसिक रूप से पूर्ण रूप से सक्षम हैं।
- उन्हें सीमा पर तैनात करना केवल सम्मान की बात नहीं, सुरक्षा की रणनीति का अहम हिस्सा भी हो सकता है।
- महिलाओं की भागीदारी ने दुश्मन के मनोबल को तोड़ा और भारत की शक्ति को बढ़ाया।
🔦 नेहा भंडारी: वह चेहरा जिसने हौसले की तस्वीर बदल दी
सहायक कमांडेंट नेहा भंडारी ने न केवल इस ऑपरेशन का नेतृत्व किया, बल्कि अपने दल को हर क्षण प्रेरित भी करती रहीं। उन्होंने कहा:
“जब गोले फट रहे थे और फायरिंग हो रही थी, तब मैंने अपने जवानों को सिर्फ यही याद दिलाया – डरे नहीं, झुके नहीं, बस डटे रहो।”
उनकी यह सोच और नेतृत्व आज देश की लाखों बेटियों को प्रेरणा दे रहा है।
🌍 दुनिया को मिला भारत का जवाब
यह घटना केवल एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि दुनिया को भेजा गया एक सीधा संदेश था –
“भारत की बेटियाँ अब सरहद की निगहबान भी बन चुकी हैं।“
देश के महान सुरक्षा अधिकारियों ने भी इस मिशन को ऐतिहासिक करार दिया और कहा कि अब महिला बीएसएफ यूनिट को और अधिक जिम्मेदारियाँ दी जाएँगी।
💬 निष्कर्ष: बेटियाँ अब सीमाओं की सरहद लांघ चुकी हैं
यह सिर्फ एक समाचार नहीं, भारत के इतिहास में दर्ज होने वाला गौरवशाली पल है। आज जब हम अपनी बेटियों को स्कूल, खेल या विज्ञान में आगे बढ़ते देखते हैं, तो यह ऑपरेशन यह भी सिद्ध करता है कि अब महिलाएं सेना और सीमा दोनों की धड़कन बन चुकी हैं।
“अगर हमें पहली बार मौका मिला… तो हमने यह भी साबित कर दिया कि हमारी शेरनियाँ सिर्फ घर नहीं, सरहद भी संभाल सकती हैं।”