Today Jaipur update “सड़कों पर सुरक्षा की नई पहल: हादसों वाले प्वाइंट सुधारे जाएंगे”

भूमिका:
देश के शहरी विकास में यातायात व्यवस्था की अहम भूमिका होती है। परंतु जब यही यातायात अव्यवस्था और लापरवाही का शिकार हो जाए, तो हादसे आम हो जाते हैं। जयपुर नगर निगम की हालिया पहल – हादसों वाले प्वाइंट्स को सुधारने और डिवाइडरों पर जालियां लगाने का कार्य – न सिर्फ एक सकारात्मक कदम है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन सकती है।

समस्या की जड़:
जयपुर शहर के प्रमुख मार्गों पर कई ऐसे स्थान हैं जहां पर वाहन चालक अक्सर डिवाइडर को पार कर सड़क के विपरीत दिशा में आ जाते हैं। इससे ट्रैफिक की रफ्तार में बाधा आती है, दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ती है, और पैदल चलने वाले लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। इसके अलावा कई जगहों पर राहगीर डिवाइडर के ऊपर बैठ जाते हैं जिससे उनके लिए भी जान का जोखिम बढ़ जाता है।

जयपुर नगर निगम की नई पहल:
जयपुर नगर निगम ने अब इन खतरनाक प्वाइंट्स पर काम शुरू कर दिया है। डिवाइडरों पर लोहे की जालियां लगाई जा रही हैं ताकि लोग उन्हें पार न कर सकें या उन पर बैठकर खुद को खतरे में न डालें। यह कार्य सबसे पहले झील के पास स्थित जलेबी चौक और अन्य व्यस्त मार्गों से शुरू किया गया है। इस पहल के तहत 1500 मीटर डिवाइडर पर लोहे की जालियां लगाने की योजना है।

लोगों की प्रतिक्रियाएं:
स्थानीय लोगों ने इस कार्य की सराहना की है। उन्हें विश्वास है कि इससे न सिर्फ दुर्घटनाएं कम होंगी बल्कि ट्रैफिक की नियमितता भी बनी रहेगी। ऑटो चालकों और राहगीरों का कहना है कि ऐसी व्यवस्था बहुत पहले ही लागू हो जानी चाहिए थी। साथ ही, इससे सड़क किनारे बैठने की प्रवृत्ति पर भी रोक लगेगी।

बेहतर विकल्प की ओर एक कदम:
हालांकि लोहे की जालियां एक अच्छा विकल्प हैं, लेकिन इसके साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि ट्रैफिक नियमों के पालन को लेकर जागरूकता फैलाई जाए। ट्रैफिक सिग्नलों को दुरुस्त रखा जाए, और कैमरों की निगरानी भी बढ़ाई जाए। साथ ही, शिक्षण संस्थानों, कार्यालयों और बाजारों के पास उचित पैदल यात्री पुलों और ज़ेब्रा क्रॉसिंग की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।

भविष्य की राह:
यह कार्य केवल जयपुर तक सीमित न रहकर अन्य शहरों में भी अपनाया जाना चाहिए। सरकार और स्थानीय निकायों को चाहिए कि वे समय-समय पर दुर्घटनाओं की हॉटस्पॉट मैपिंग करें और वहां सुधार कार्य तत्काल रूप से शुरू करें। एक सुरक्षित सड़क व्यवस्था सिर्फ तकनीकी ढांचे से नहीं, बल्कि लोगों की सहभागिता और जागरूकता से भी बनती है।

निष्कर्ष:
जयपुर में शुरू हुई यह पहल एक स्वागत योग्य कदम है। यह न केवल दुर्घटनाओं को रोकने की दिशा में काम करेगी बल्कि लोगों को सुरक्षित और सुव्यवस्थित यातायात प्रणाली की ओर प्रेरित भी करेगी। उम्मीद है कि यह पहल पूरे प्रदेश और फिर देशभर में फैलकर सड़कों को सुरक्षित बनाने की दिशा में मील का पत्थर बनेगी।


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