प्रस्तावना:
आज के दौर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिर्फ एक तकनीकी टूल नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था का नया इंजन बन चुका है। दुनिया भर में इसका प्रभाव न केवल कामकाज के तरीकों को बदल रहा है, बल्कि नौकरियों की प्रकृति को भी पूरी तरह से नया स्वरूप दे रहा है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह बदलाव एक चुनौती भी है और अवसर भी।
तकनीकी बदलाव और नई नौकरियों की संभावना
McKinsey Global Institute की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारत में 6 करोड़ से अधिक नौकरियों पर AI और ऑटोमेशन का प्रभाव पड़ेगा। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ये सभी नौकरियाँ खत्म हो जाएंगी। रिपोर्ट बताती है कि नई तकनीकों के चलते 75 मिलियन नई नौकरियाँ भी बनेंगी। यानी AI के आने से जहाँ कुछ नौकरियाँ जाएँगी, वहीं कई नई संभावनाएँ भी पैदा होंगी।
स्किल गैप बना सबसे बड़ी चुनौती
LinkedIn की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 तक भारत में 40% से अधिक कर्मचारियों को ऐसी स्किल्स की ज़रूरत होगी जो उनके पास वर्तमान में नहीं हैं। यही स्किल गैप AI से डर की असली वजह बनता है। युवाओं के पास अवसर तो हैं, लेकिन वो अवसर पकड़ने के लिए जरूरी कौशल नहीं। इससे पहले कि अवसर हाथ से निकल जाएं, स्किल्स को अपडेट करना अनिवार्य है।
भारत में स्किल डेवलपमेंट की स्थिति
भारत सरकार ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, PM Gati Shakti जैसे कई प्रयास किए हैं। युवाओं को डेटा एनालिटिक्स, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सिक्योरिटी, AI, मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जा रहा है। फिर भी 2023 की Skill Report के अनुसार केवल 44% स्किल्स अपडेटेड हैं।
इसका अर्थ यह है कि अब भी अधिकांश युवा पारंपरिक शिक्षा में ही फंसे हैं जबकि इंडस्ट्री की मांग कुछ और है।
AI से प्रभावित होने वाले क्षेत्र
AI का सबसे अधिक प्रभाव कस्टमर सर्विस, बैंकिंग, हेल्थकेयर, एजुकेशन, लॉजिस्टिक्स, रिटेल, ट्रैवल, ऑटोमेशन जैसे सेक्टर्स में देखा जा रहा है।
इन क्षेत्रों में मानवीय संसाधनों की ज़रूरत कम हो रही है और मशीनें उनकी जगह ले रही हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि नौकरियाँ खत्म हो रही हैं। इसके विपरीत, AI और टेक्नोलॉजी के लिए आवश्यक नई नौकरियाँ इन क्षेत्रों में तेज़ी से बन रही हैं।
शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की ज़रूरत
रिपोर्ट यह भी बताती है कि स्किल गैप की सबसे बड़ी वजह यह है कि हमारी शिक्षा प्रणाली में अभी भी पारंपरिक विषयों पर ज़्यादा ज़ोर है, जबकि आधुनिक टेक्नोलॉजी स्किल्स को मुख्यधारा में लाना ज़रूरी है। आज भी कई कॉलेजों में AI, डेटा साइंस, मशीन लर्निंग, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर, साइबर सिक्योरिटी जैसे कोर्स या तो उपलब्ध नहीं हैं या फिर बहुत सीमित स्तर पर पढ़ाए जाते हैं।
समाधान: कैसे करें खुद को तैयार?
अगर हम चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी AI से डरे नहीं बल्कि उसका सामना कर सके, तो हमें अब इन क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा:
- स्किल डेवलपमेंट को मुख्यधारा बनाना:
स्कूल और कॉलेज स्तर पर ही तकनीकी विषयों को शामिल करना चाहिए। - इंडस्ट्री के साथ तालमेल:
शिक्षा प्रणाली को इंडस्ट्री की ज़रूरतों के अनुसार अपडेट करना होगा। - ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल:
Coursera, Udemy, Google Skillshop, Microsoft Learn जैसे प्लेटफॉर्म्स पर मुफ्त या सस्ती दरों पर बेहतरीन कोर्स उपलब्ध हैं। - प्रैक्टिकल नॉलेज पर ज़ोर:
सिर्फ थ्योरी नहीं, बल्कि लाइव प्रोजेक्ट्स, इंटर्नशिप और केस स्टडी आधारित सीखने की जरूरत है।
युवाओं के लिए संदेश:
भारत की 60% आबादी युवाओं की है और ये युवा देश का भविष्य तय करेंगे। यदि वे समय रहते स्किल्स को अपडेट नहीं करेंगे, तो अवसर हाथ से निकल जाएंगे। लेकिन अगर वे समय के साथ चलें, तो AI उनकी सफलता की सीढ़ी बन सकता है, रुकावट नहीं।
निष्कर्ष:
AI और ऑटोमेशन का दौर आ चुका है और यह रुकने वाला नहीं है। ऐसे में डरने से बेहतर है, खुद को तैयार करना। नई तकनीकों को दुश्मन की तरह नहीं, बल्कि एक मौके की तरह देखें। अगर हम अपने स्किल्स को समय रहते अपडेट कर लें, तो न केवल नौकरी पाएंगे, बल्कि अपनी शर्तों पर काम भी कर सकेंगे।