Nepal: सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सड़कों पर युवाओं का उग्र प्रदर्शन,संसद भवन तक पहुँचे प्रदर्शनकारी, पुलिस कार्रवाई से घायल हुए 25+ लोग

नेपाल की राजधानी काठमांडू इन दिनों बड़े पैमाने पर हो रहे युवा आंदोलनों का केंद्र बन गई है। सोमवार को हजारों युवाओं ने नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन के खिलाफ सड़कों पर उतरकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध ने न सिर्फ शहर की व्यवस्था को हिला दिया बल्कि पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प ने हालात और तनावपूर्ण बना दिए।


Nepal में सोशल मीडिया बैन क्यों लगा?

नेपाल सरकार ने 28 अगस्त 2025 को सभी सोशल मीडिया कंपनियों को अनिवार्य पंजीकरण (Mandatory Registration) करने के लिए सात दिन का समय दिया था। लेकिन Meta (Facebook, Instagram, WhatsApp), Alphabet (YouTube), X (Twitter), LinkedIn और Reddit जैसे किसी भी बड़े प्लेटफॉर्म ने यह पंजीकरण नहीं कराया।

  • सरकार ने तर्क दिया कि फर्जी आईडी और hate speech के कारण समाज में नफरत और असामाजिक गतिविधियां बढ़ रही थीं।
  • साइबर अपराध, अफवाह और communal tension को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया।
  • 4 सितंबर से सरकार ने इन सभी प्लेटफॉर्म्स पर बैन लागू कर दिया।

Gen Z युवाओं का सड़क पर उतरना

Nepal: सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सड़कों पर युवाओं का उग्र प्रदर्शन,संसद भवन तक पहुँचे प्रदर्शनकारी, पुलिस कार्रवाई से घायल हुए 25+ लोग
Nepal: सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सड़कों पर युवाओं का उग्र प्रदर्शन,संसद भवन तक पहुँचे प्रदर्शनकारी, पुलिस कार्रवाई से घायल हुए 25+ लोग

नेपाल के युवा, खासकर Generation Z, इस फैसले को अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला मान रहे हैं।

  • सोशल मीडिया उनके लिए रोज़गार, शिक्षा और अभिव्यक्ति का सबसे बड़ा माध्यम है।
  • “नेपो किड्स” और “नेपो बेबीज” जैसे हैशटैग पहले से ही ट्रेंड कर रहे थे, जिससे यह आंदोलन और तेज़ हो गया।
  • “हामी नेपाल” नामक संगठन के बैनर तले हजारों युवक-युवतियां काठमांडू के मैतीघर इलाके में एकत्र हुए।

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विरोध प्रदर्शन का उग्र रूप

प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने न सिर्फ नारे लगाए बल्कि संसद भवन तक पहुंच गई।

  • पुलिस को भीड़ को रोकने के लिए लाठीचार्ज, आंसू गैस और वाटर कैनन का सहारा लेना पड़ा।
  • न्यू बानेश्वर इलाके में पुलिस की फायरिंग में कई लोग घायल हुए।
  • घायलों को एवरेस्ट और सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया।
  • स्थिति बिगड़ने पर सरकार ने सेना को भी तैनात किया और काठमांडू में कर्फ्यू लागू कर दिया।

प्रदर्शन के पीछे असली मुद्दे

हालांकि सोशल मीडिया बैन एक ट्रिगर पॉइंट बना, लेकिन आंदोलन की जड़ें गहरी हैं।

  • युवाओं का कहना है कि देश में भ्रष्टाचार चरम पर है
  • सरकारी नीतियां युवा वर्ग और छात्रों के हित में नहीं हैं।
  • रोजगार की कमी, महंगाई और शिक्षा में असमानता जैसे मुद्दे लंबे समय से मौजूद हैं।

सोशल मीडिया बैन बनाम अभिव्यक्ति की आज़ादी

  • सरकार का कहना है कि यह बैन समाज में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए है।
  • जबकि युवा इसे censorship और लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला मान रहे हैं।
  • Experts का मानना है कि Nepal को ऐसे कानून लाने चाहिए जिनसे सोशल मीडिया कंपनियां जिम्मेदारी तय करें, न कि सीधे बैन लगाया जाए।

Nepal में इंटरनेट और डिजिटल अर्थव्यवस्था पर असर

  • Nepal में लगभग 1.5 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं जिनमें से 90% सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं।
  • यह बैन न केवल युवाओं बल्कि digital businesses, online education और startups पर भी सीधा असर डाल रहा है।
  • Influencers, content creators और freelancers की आय पर भारी संकट आ गया है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

  • अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इसे फ्रीडम ऑफ स्पीच का उल्लंघन बताया।
  • भारत और अन्य पड़ोसी देशों की नजर Nepal के इस फैसले पर है।
  • Experts का मानना है कि यह कदम Nepal की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।

आंदोलन का भविष्य

  • वर्तमान में प्रदर्शन काठमांडू तक सीमित हैं लेकिन यह देशव्यापी हो सकते हैं।
  • “हामी नेपाल” संगठन ने छात्रों से आग्रह किया है कि वे यूनिफॉर्म और किताबों के साथ इस आंदोलन में शामिल हों।
  • अगर सरकार ने अपना रुख नरम नहीं किया तो यह विरोध Nepal के राजनीतिक संकट का बड़ा कारण बन सकता है।

निष्कर्ष

नेपाल का यह आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया बैन के खिलाफ नहीं बल्कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई बन चुका है। Gen Z पीढ़ी अब सिर्फ डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर ही नहीं बल्कि सड़कों पर भी अपनी आवाज़ बुलंद कर रही है।

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