Punjab Floods 2025 – A 1988 Redux
पंजाब इस समय एक बार फिर भीषण बाढ़ की चपेट में है। इस साल की बाढ़ ने लोगों को 1988 की भयानक त्रासदी की याद दिला दी है, जब सतलुज, ब्यास और रावी नदियों ने कहर बरपाया था। लेकिन इस बार विशेषज्ञ मानते हैं कि सिर्फ प्राकृतिक आपदा ही नहीं, बल्कि man-made activities ने भी इस तबाही को और ज्यादा भयावह बना दिया है।

किन जिलों में मची तबाही?
2025 की बाढ़ ने पंजाब के कम से कम 10 ज़िलों को बुरी तरह प्रभावित किया है।
- गुरदासपुर
- पठानकोट
- अमृतसर
- होशियारपुर
- फाज़िल्का
- फिरोज़पुर
- कपूरथला
- तरनतारन
- जालंधर
- रूपनगर (रोपड़)
इन ज़िलों में खेत तबाह हो चुके हैं, गांव पानी में डूबे हैं और हज़ारों लोग बेघर हो चुके हैं।
1988 की बाढ़ क्यों याद आती है?

1988 की तबाही
- 1988 में बाढ़ ने पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में 600 से अधिक लोगों की जान ली थी।
- लाखों लोग बेघर हुए, फसलें तबाह हुईं और बांधों से छोड़े गए पानी ने हालात और बिगाड़ दिए।
- ब्यास, रावी और सतलुज नदियों का उफान उस साल सबसे बड़ा कारण बना।
1993 की बाढ़
1988 के बाद 1993 में भी बाढ़ ने 300 से ज्यादा लोगों की जान ली। उस समय अधिकतर नुकसान बांधों और नहरों के टूटने से हुआ।
Punjab Floods 2025 – Human Made Factors
विशेषज्ञों के अनुसार, पंजाब की बाढ़ों में climate change और human negligence दोनों का बड़ा हाथ है।
Climate Change
- असमान और अत्यधिक बारिश
- हिमाचल और जम्मू कश्मीर में अचानक भारी वर्षा
- मौसम का असंतुलन और मानसून पैटर्न का बदलना
Encroachment और Concretisation
- नदियों और नालों के किनारों पर अवैध निर्माण
- floodplains का कब्जा
- प्राकृतिक जलमार्गों का अवरुद्ध होना
Weak Flood Management
- धुस्सी बांधों और नहरों का खराब रखरखाव
- समय पर desilting (गाद निकासी) न होना
- drainage system की क्षमता सीमित होना
Deforestation और Illegal Mining
- जंगलों की कटाई ने जल रोकने की क्षमता घटाई
- रेत खनन ने नदी किनारों को कमजोर किया
- पहाड़ी इलाकों का कंक्रीट जंगल में बदलना
Experts की राय
Punjab Remote Sensing Centre (PRSC) Study
- 1988 में बाढ़ नदी के उफान से हुई थी।
- 1993 में बाढ़ अधिकतर breaches और कमजोर बांधों से फैली।
- नतीजा: अगर preventive measures लिए जाते, तो नुकसान काफी कम हो सकता था।
Punjab Agricultural University (PAU) 2023 Flood Report
- Climate change induced rainfall ही 2023 और 2025 की बाढ़ का बड़ा कारण बना।
- 2.21 लाख हेक्टेयर फसल पानी में डूब गई।
Dr. Gurdev Singh Hira (PAU)
“Floods प्राकृतिक आपदा हैं, लेकिन नुकसान को कई गुना बढ़ाने में इंसानी लापरवाही सबसे बड़ी वजह है।”
2025 की सीख: आगे क्या करना ज़रूरी है?
Immediate Action
- नदियों और नालों की नियमित सफाई
- बांधों और तटबंधों का मज़बूत रखरखाव
- नदी तटों पर अवैध निर्माण पर रोक
Long Term Solutions
- Climate-resilient infrastructure
- Green cover बढ़ाना और वनीकरण
- Early warning system को मज़बूत करना
- Sustainable urban planning
निष्कर्ष
Punjab Floods 2025 ने साफ दिखा दिया है कि प्राकृतिक आपदा को हम पूरी तरह रोक नहीं सकते, लेकिन नुकसान को सीमित करना हमारे हाथ में है। 1988 से लेकर 2023 और अब 2025 – हर बार इतिहास हमें सिखाता है कि अगर हम समय रहते flood management और environmental protection पर ध्यान दें, तो लाखों लोगों को इस त्रासदी से बचाया जा सकता है।
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